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My Nonsenses are Most Sensible - Poem

My Nonsenses is the Most Sensible - Poem

The world is madness, humans lost in haze,
I stand alone, the saint in this maze.
What I do is right, my path is clear,
Your actions are senseless, driven by fear.

I smoke in my room, my space, my air,
If the smoke bothers others, why should I care?
My lungs, my money, my life to live,
Who are you to take what I won’t give?

My pets may bark, hiss, or chirp with glee,
They’re part of my world, they belong with me.
If neighbors complain, let them stew,
It’s my life, not theirs, I’ll do as I do.

When I party, when I drink, and dance with friends,
If my neighbors frown, where does their freedom end?
It’s my home, my joy, my voice raised high,
Should I silence my laughter, my spirit, my sky?

My house overflows with treasures I adore,
If others trip, or things break on the floor,
It’s their blindness, not seeing the art,
Their fault if they stumble, not mine to impart.

In my office, I’m the master or serve one,
The clock’s pace is mine until the day is done.
If you rush or wait, that’s on you,
I hold the reins, your urgency won’t do.

In our temples, in our mosques, we proclaim,
Our voices rise, free from shame.
If you’re disturbed, find another place,
For we practice our faith with power and grace.

My family, my blood, my ties that bind,
What I do with them is solely mine.
If screams echo or tears fall from house like rain,
Who the hell you are to rein my pleasure, my pain.

My shoes outside, with a scent so strong,
If neighbors wince, they don’t belong.
It’s my choice to clean them or leave them be,
Their discomfort is no concern to me.

Only my way is the path that’s true,
Only my road leads where the wise go through.
No debate, no talk, I’ll silence your plea,
For I hold the power, the truth, and the key.

O Chaitanya, this world spins wild and vast,
If you watch without flinching, through all it casts,
Then tell me, who’s the sane, and who’s the mad,
In this world of chaos, where reason seems covered in the cloth of Adharma?

Hari Om Tat Sat
Yours Truly Hari

A Rough Hindi Translation of this poem

Here is the Hindi translation of the poem:

दुनिया पागलपन है, इंसान खो गए धुंध में,
मैं अकेला खड़ा हूँ, इस भूलभुलैया में संत की तरह।
जो मैं करता हूँ वो सही है, मेरा रास्ता साफ है,
तुम्हारे कर्म बेमानी हैं, डर से प्रेरित।

मैं अपने कमरे में धुआं उड़ाता हूँ, मेरी जगह, मेरी हवा,
अगर धुआं दूसरों को परेशान करता है, तो मुझे क्यों परवाह हो?
मेरे फेफड़े, मेरे पैसे, मेरी ज़िंदगी जीने के लिए,
तुम कौन होते हो लेने वाले जो मैं नहीं दूँगा?

मेरे पालतू भौंक सकते हैं, फुफकार सकते हैं, या खुशी से चहक सकते हैं,
वे मेरे संसार का हिस्सा हैं, वे मेरे साथ ही हैं।
अगर पड़ोसी शिकायत करते हैं, तो उन्हें जलने दो,
ये मेरी ज़िंदगी है, उनकी नहीं, मैं जैसा चाहूँ, वैसा करूँ।

जब मैं पार्टी करता हूँ, पीता हूँ, और दोस्तों के साथ नाचता हूँ,
अगर मेरे पड़ोसी भौंहें चढ़ाते हैं, तो उनकी आज़ादी कहाँ खत्म होती है?
ये मेरा घर है, मेरी खुशी, मेरी ऊँची आवाज़,
क्या मैं अपनी हँसी, अपनी आत्मा, अपना आकाश चुप करा दूँ?

मेरा घर भरा है उन खज़ानों से जिन्हें मैं पसंद करता हूँ,
अगर दूसरे गिरते हैं, या फर्श पर चीज़ें टूटती हैं,
तो ये उनकी अंधता है, जो कला नहीं देख पाते,
उनकी गलती है अगर वे ठोकर खाते हैं, मेरी नहीं।

अपने कार्यालय में, मैं मालिक हूँ या एक सेवक,
घड़ी की गति मेरी है जब तक दिन खत्म नहीं होता।
अगर तुम जल्दी करते हो या इंतज़ार करते हो, ये तुम्हारी बात है,
मेरे पास बागडोर है, तुम्हारी जल्दबाज़ी यहाँ नहीं चलेगी।

हमारे मंदिरों में, हमारी मस्जिदों में, हम घोषणा करते हैं,
हमारी आवाज़ें उठती हैं, बिना किसी शर्म के।
अगर तुम परेशान होते हो, तो कोई और जगह ढूंढो,
क्योंकि हम अपनी आस्था को शक्ति और गरिमा से निभाते हैं।

मेरा परिवार, मेरा खून, मेरी जंजीरें जो बांधती हैं,
उनके साथ मैं जो करता हूँ, वो सिर्फ मेरा है।
अगर घर से चीखें गूंजती हैं या आँसू बारिश की तरह गिरते हैं,
तुम कौन होते हो रोकने वाले मेरे सुख, मेरे दर्द?

मेरे जूते बाहर, जिनकी खुशबू इतनी तीव्र है,
अगर पड़ोसी नाक सिकोड़ते हैं, तो उन्हें कोई जगह नहीं।
ये मेरा निर्णय है कि उन्हें साफ करूँ या वैसे ही छोड़ दूँ,
उनकी असुविधा मेरे लिए कोई चिंता नहीं है।

सिर्फ मेरा रास्ता ही सच्चा है,
सिर्फ मेरी सड़क ही वहाँ ले जाती है जहाँ बुद्धिमान जाते हैं।
कोई बहस नहीं, कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी दलील को चुप करा दूँगा,
क्योंकि मेरे पास ताकत, सच्चाई, और चाबी है।

हे चैतन्य, ये दुनिया जंगली है और विशाल घूमती है,
अगर तुम बिना पलक झपकाए इसे देखते हो, तो जो भी ये दिखाती है,
तो मुझे बताओ, कौन है समझदार, और कौन पागल,
इस उथल-पुथल भरी दुनिया में, जहाँ तर्क अधर्म के चोले में है।

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